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रिक्शा खींचने वाले ने शुरू किया खेती से जुड़ा ये बिजनेस, अब हो रहा है लाखों का मुनाफा

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Success Story: तकदीर तो एक रिक्शा चलाने वाली की भी होती है, वो कब बदल जाए कुछ पता नहीं. ऐसा ही कुछ दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाने वाले धर्मवीर कंबोज के साथ भी हुआ, जिन्होंने तकदीर के भरोसे ना बैठकर मेहनत करना लाजमी समझा और आज पूरी दुनिया उन्हें एक सफल किसान और आंत्रप्रेन्योर के नाम से जानती है. हरियाणा के यमुना नगर के धामला गांव निवासी धर्मवीर कंबोज ने सबसे पहले औषधीय खेती से अपना सफर शुरू किया, जब सफलता मिली तो अड़ोस-पड़ोस के किसान भी औषधीय खेती करने लगे. इन औषधियों से कुछ उत्पाद बनाना चाहते थे, जिसके लिए खुद ही एक प्रोसेसिंग मशीन बना दी और देश-दुनिया में इनकी बनाई मशीन का निर्यात हो रहा है. धर्मवीर कंबोज के इस सफर में केंद्रीय कटाई उपरांत अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी संस्थान(सीफेट), लुधियाना का भी सहयोग रहा है.

सालाना 20 लाख रुपये की आमदनी
धर्मवीर कंबोज ने साल 1987 तक दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाया. एक एक्सीडेंट के बाद कंबोज बापस गांव लौट आए और खेती चालू कर दी. वहां दिल्ली में खुद का रिक्शा नहीं था, इसलिए रोजाना 6 रुपये का किराया भी भरना पड़ता था, लेकिन आज अपनी सूझ-बूझ से सालाना 15 से 20 लाख रुपये की आमदनी हो रही है. कंबोज ने जो फूड प्रोसेसिंग मशीन इजाद की है, उसे multipurpose food processing (MPP) नाम दिया गया है, जिसे अब बिजनेस अमेरिका, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया, इटली और जिम्बावे समेत 15 देशों में निर्यात किया. 

औषधीय खेती से नए सफर का आगाज
दिल्ली से गांव लौटने के बाद धर्मवीर कंबोज ने कई कार्यक्रमों और प्रशिक्षण केंद्रों में जाकर खेती के बारे में जाना. अधिक जानकारी के लिए साल 2004 में राजस्थान भी पहुंचे, जहां एलोवेरा जैसी तमाम औषधीय फसलों की खेती के बारे में जाना और गांव अपने गांव लौटकर इन्हीं फसलों को उगाना चालू कर दिया. इससे अच्छी आमदनी मिल रही थी, लेकिन कंबोज अब औषधियों के प्रोसेसिंग बिजनेस के बारे में सोच रहे हैं. इस बीच बैंक के एक कर्मचारी ने बताया कि इस काम में कई प्रोसेसिंग मशीनें लगती है, जिससे कई तरह के प्रोडक्ट्स बना सकते हैं, लेकिन ये मशीनें काफी महंगी थी. फिर क्या था, धर्मवीर कंबोज ने खुद की किफायती मशीन बना ली. इस काम में करीब 8 महीने की कड़ी मेहनत लगी और इस तरह तैयार हुई मल्टी पर्पज फूड प्रोसेसिंग मशीन.

कैसे काम करती है ये मशीन
द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मवीर कंबोज ने जो मशीन इजाद की है, वो सिंगल फेज मोटर से चलती है, जिसमें आंवला, एलोवेरा, जामुन और तमाम औषधियों के साथ-साथ बीज, फल और सब्जियों का प्रसंस्करण करके जूस और एंसेस निकाला जाता है. इस मशीन में तापमान को नियंत्रित करने का फीचर भी है. एक खास मशीन इजाद करके कंबोज ने अपने इनोवेशन को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से पेटेंट भी करवाया है. आज ये मशीन 1 घंटे में 200 किलो टमाटर की प्रोसेसिंग कर देती है. अपने प्रोसेसिंग के एग्री बिजनेस के अलावा धर्मवीर कंबोज ने हाइब्रिड टमाटर की खेती करके रिकॉर्ड प्रोडक्शन हासिल किया है. प्रोसेसिंग मशीन कोई पहले आविष्कार नहीं था. इससे पहले भी फसल पर कीटनाशक का स्प्रे करने वाली बैटरी चलित स्प्रेयर मशीन बनाई थी. इसी के साथ-साथ एक ही जमीन पर धनिया, लौकी और गन्ना उगाने का भी सफल प्रयास किया है.

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दौलत और शौहरत सब मिल गई
आज विदेशों तक अपना बिजनेस फैलाकर धर्मवीर कंबोज एक आंत्रप्रेन्योर, बिजनेस मैन और इससे भी ज्यादा एक सफल किसान के तौर पर जाने जाते हैं. अपनी इन उपलब्धियों के बीच धर्मवीर कंबोज को राष्ट्रपति भवन में भी बतौर किसान वैज्ञानिक इनवाइट किया जा चुका है. साथ ही, कई ट्रेड फेयर और कृषि मेलों में अपनी प्रोसेसिंग मशीन की प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं. कुछ समय पहले ही केन्या से 20 प्रोसेसिंग मशीनों का ऑर्डर भी मिला है. आज अपने इस काम से धर्मवीर कंबोज खुद तो बड़े बने ही है, अपने गांव और आस-पास के लोगों को भी रोजगार दिया है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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