<p style="text-align: justify;"><strong>News Click Row: </strong>दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़क्लिक और इससे जुड़े पत्रकारों के घरों पर मंगलवार को छापेमारी हुई. यह मामला दिनभर सोशल मीडिया पर छाया रहा. इसके पक्ष और विपक्ष में तमाम लोग चर्चा करते रहे.</p>
<p style="text-align: justify;">पुलिस ने कई घंटे पूछताछ करने के बाद न्यूजक्लिक के एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर चीफ अमित चक्रवर्ती को मंगलवार को ही गिरफ़्तार कर लिया. पुलिस ने इन दोनों के अलावा पत्रकार अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती, भाषा सिंह, व्यंग्यकार संजय राजौरा और इतिहासकार सोहेल हाशमी के घर पर भी छापा मारा. शाम होते-होते इस मामले की चर्चा देश से बाहर विदेशों में भी होने लगी. विदेशी मीडिया ने इस मामले पर बात की है. आइए जानते हैं, किसने क्या कहा.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>वॉशिंगटन पोस्ट ने कही सेंशरशिप की बात</strong></p>
<p style="text-align: justify;">वॉशिंगटन पोस्ट ने इस मामले में लिखा है, ”पुलिस ने आतंकवाद विरोधी क़ानून वाले केस में न्यूज़क्लिक से जुड़े 46 पत्रकारों और योगदान देने वालों के घरों पर छापा मारा. इनके यहां से फोन और लैपटॉप जब्त किए गए हैं. न्यूज़क्लिक केंद्र सरकार की काफी आलोचना करता है. यह प्रधानमंत्री <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://www.abplive.com/topic/narendra-modi" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> के वक्त में मीडिया पर तेज़ होते हमले का ताज़ा नमूना है.” वॉशिंगटन पोस्ट ने आगे लिखा, ”भारत में स्वतंत्र मीडिया आउटलेट कड़ी सेंसरशिप से जूझ रहे हैं. इन संस्थानों को गिरफ्तारी और आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ता है. मोदी सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संस्थानों पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए छापेमारी बढ़ा दी गई है.”</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>न्यूयॉर्क टाइम्स ने याद दिलाई प्रेस फ़्रीडम रैंकिंग</strong></p>
<p style="text-align: justify;">न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने आर्टिकल में लिखा है कि पुलिस ने नई दिल्ली में पत्रकारों के घरों पर मंगलवार सुबह छापे मारे और एक पत्रकार को गिरफ़्तार कर लिया है. मोदी सरकार को रिपोर्ट करने वाली पुलिस की स्पेशल सेल विंग ने पत्रकारों पर ये कार्रवाई की है. इससे पहले 2021 में इस कंपनी पर ईडी ने छापा मारा था. दो महीने पहले न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें दावा किया गया कि न्यूज़क्लिक उस इंटरनेशनल नेटवर्क का हिस्सा है, जिसकी फंडिंग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक बिज़नेसमैन कर रहे हैं. पर इस तरह की कार्रवाई मीडिया की स्वंतंत्रता को दबाते हैं. अंतराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर की रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रेस आज़ादी के मामले में 180 देशों की लिस्ट में भारत का स्थान 161 है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अल-जजीरा ने भी की आलोचना</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अल-जज़ीरा ने इस पर लिखा है कि भारत में पुलिस ने ‘चीन का प्रॉपेगैंडा चलाने के लिए विदेशी फंड लेने के आरोप में देश के प्रमुख पत्रकार और एक समाचार वेबसाइट के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को कड़े आतंकवाद विरोधी क़ानून के तहत गिरफ्तार किया है. अल-जज़ीरा लिखता है कि 17 अगस्त को न्यूज़क्लिक और इसके पत्रकारों के ख़िलाफ़ यूएपीए की धाराओं के तहत के मामले दर्ज किए गए थे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इस खबर से मचा था पूरा बवाल</strong></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, न्यूयॉर्क टाइम्स में कुछ समय पहले एक खबर छपी थी, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका के बिज़नेसमैन नेविले रॉय सिंगमा ने न्यूज़क्लिक में निवेश कर रखा है. सिंगमा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक हैं और वह ‘चीन के प्रॉपेगैंडा को फैलाने के लिए वहां की सरकार के साथ मिल कर काम करते हैं.’</p>
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