https://bulletprofitsmartlink.com/smart-link/133310/4

महिलाएं क्यों सिंदूर से भरती है मांग, जानें सोलह श्रृंगार से जुड़े धार्मिक और वैज्ञानिक पहलू

Share to Support us


Solah Shringar, Sindoor Dharmik and Scientific Significance: विवाह की रस्मों से लेकर जब तक महिला सुहागिन रहती है तब तक उसके लिए सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व होता है. 16 श्रृंगार का संबंध केवल चेहरे की सुंदरता और सजने-संवरने से नहीं है, बल्कि इससे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी जुड़े होते हैं. सुहागिन महिलाओं के 16 श्रृंगार का संबंध सौभाग्य और सेहत से भी जुड़ा होता है.

सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगारों में सिंदूर को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. यह विवाहित और सौभाग्यवती होने का सबसे अहम प्रमाण होता है. 16 श्रृंगारों से जुड़े अन्य श्रृंगार जैसे कि, बिंदिया, पायल, चूड़िया, गजरे आदि का प्रयोग कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं.

लेकिन सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है, जिससे केवल एक विवाहित स्त्री ही अपनी मांग भर सकती है. विवाह के समय दूल्हे द्वारा दुल्हन की मांग भरी जाती है, इसके बाद विवाहित महिला हमेशा इसे अपने मांग में सजाए रखती है. लेकिन सिंदूर लगाना क्यों है जरूरी और क्या है इसका महत्व. जानते हैं इससे जुड़े धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्य.

सिंदूर लगाने से जुड़ी धार्मिक मान्यता

सनातन हिंदू धर्म में सिंदूर लगाने की परंपरा काफी पुरानी है. यहां तक कि महाभारत और रामायण काल में भी इसका उल्लेख मिलता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती भी सिंदूर लगाती थीं. वहीं महाभारत महाकाव्य में सिंदूर का उल्लेख मिलता है. इसके अनुसार, एक बार द्रौपदी ने निराशा और क्रोध में आकर अपने मांग का सिंदूर मिटा लिया था. रामायण काल में भी सिंदूर का उल्लेख मिलता है.

एक दिन जब माता सीता श्रृंगार करते हुए अपने मांग भर रही थी, तभी वहां खड़े हनुमानजी ने उनसे पूछा कि, माता आप मांग में सिंदूर क्यों लगा रही हैं. तब सीता जी ने हनुमान जी को बताया कि, यह मेरे और प्रभु श्रीराम के रिश्ते को मजबूत बनाता है और श्रीराम को दीर्घायु बनाता है. यह सुनकर हनुमान जी को लगा कि, केवल एक चुटकी सिंदूर से श्रीराम दीर्घायु हो सकते हैं तो मेरे पूरे शरीर में सिंदूर लगाने से वे अमर हो जाएंगे और इस तरह से हनुमानजी ने अपने शरीर पर सिंदूर लगा लिया. इस प्रसंग ये यह सिद्ध होता है, सिंदूर लगाने की परंपरा रामायण काल में भी थी.

सिंदूर लगाने का वैज्ञानिक महत्व

भारतीय परंपरा में बनाए गए रीति-रिवाजों के पीछे वैज्ञानिक कारण जुड़ा होता है. हालांकि इसकी जानकारी लोगों को नहीं होती.वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महिलाओं के सिंदूर से मांग भरने का संबंध पूरे शरीर से जुड़ा होता है. सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है, जोकि ब्रह्मरंध्र ग्रंथि के लिए बहुत ही प्रभावशाली धातु माना जाता है.

इससे महिलाओं का मानसिक तनाव कम होता है और उनका मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में होता है. वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि, सिंदूर लगाने से शरीर का रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है.

ये भी पढ़ें: Solah Shringar: सुहागिन महिलाएं क्यों पहनती हैं चूड़ियां, धार्मिक के साथ है वैज्ञानिक पहलू भी

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



Source link


Share to Support us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Download Our Android Application for More Updates

X